जिस वक्त रेडियो पर प्रसारित हो रही थी मन की बात, किसान- मजदूर संगठनों ने थाली बजाकर जताया विरोध

जिस वक्त रेडियो पर प्रसारित हो रही थी मन की बात, किसान- मजदूर संगठनों ने थाली बजाकर जताया विरोध

रायपुर के धरना स्थल पर रविवार की दोपहर सख्त लॉकडाउन के दिनों में दिखने वाले एक दृश्य को दोहराया गया। एक तरफ पूरे देश में मन की बात का प्रसारण रेडियो पर किया जा रहा था। उसी वक्त प्रदेश के किसान मजदूर महासंघ, छत्तीसगढ़ किसान सभा और अखिल भारतीय किसान सभा के पदाधिकारियों ने थाली बजाकर विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ही यह तरीका डॉक्टर्स के सम्मान में लॉकडाउन के दौरान बताया था, अब यह किसानों के सम्मान में है और सरकार के कृषि विरोधी नीतियों के विरोध में।

अंग्रेज गए अब कारोबारियों के गुलाम बनने की नौबत
रायपुर में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान नई राजधानी किसान कल्याण संघर्ष समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने मोदी सरकार के अड़ियल रवैया की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि जब तक तीनों काले कानून वापस नहीं होंगे किसान आंदोलन पर ही रहेंगे । आदिवासी भारत महासभा के सौरा यादव ने चेतावनी दी कि कारपोरेट परस्त तीनों कानून देश की बर्बादी को लाने वाले कानून है इन कानूनों से सिर्फ किसान ही बर्बाद नहीं होगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी और देश कारोबारी घरानों का गुलाम हो जाएगा ।

धरना जारी रहेगा
कृषि कानूनों को काले कानून बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की जा रही है। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य डॉ संकेत ठाकुर ने बताया कि काले कानूनों की वापसी की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ का धरना बूढा तालाब स्थित धरना स्थल पर 14 दिसम्बर से जारी है । शनिवार से दाउ आनन्द कुमार धरने पर बैठ गए हैं उनके साथ अब रोज किसानों-नागरिकों का जत्था धरने पर नियमित रूप से बैठता रहेगा ।



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तस्वीर रायपुर के धरना स्थल की है। इस दौरान किसान और मजदूर संगठन के नेता प्रदर्शन करते रहे।


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